कैग रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, UP में महिलाओं के खिलाफ 61% बढ़ा क्राइम

Edited By ,Updated: 24 Aug, 2016 10:11 AM

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भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कानून एवं व्यवस्था के मोर्चे पर घिरी उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों के हमले को अपनी इस रिपोर्ट...

लखनऊ: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कानून एवं व्यवस्था के मोर्चे पर घिरी उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों के हमले को अपनी इस रिपोर्ट के साथ नई धार दे दी है कि प्रदेश में महिलाआें के खिलाफ होने वाले अपराधों में तेज बढोत्तरी हुई है। विधानसभा में 31 मार्च 2015 को समाप्त हुए वर्ष के लिए प्रस्तुत कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2010-11 से लेकर 2014-15 के बीच प्रदेश में महिलाआें के खिलाफ होने वाले अपराधों में 61 प्रतिशत की बढोत्तरी हुई है।

आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रदेश में सत्तारूढ समाजवादी पार्टी के लिए कैग की यह रिपोर्ट परेशानी पैदा करने वाली हो सकती है, क्योंकि मार्च 2012 से वही सरकार में है। कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2013-14 में महिलाआें के खिलाफ अपराधों में बहुत तेजी से बढोत्तरी हुई। वर्ष 2012-13 में जहां यह संख्या 24552 थी वह 2013-14 में 31810 हो गई और वर्ष 2014-15 में भी इसमें कोई कमी नहीं हुई।  

विपक्षी दलों ने कैग रिपोर्ट को प्रदेश में कानून एवं व्यवस्था बिगड़ते जाने के आरोप की पुष्टि करार देते हुए कहा कि अखिलेश सरकार बेनकाब हो गई है। भाजपा के प्रदेश महासचिव विजय बहादुर पाठक ने कहा कि कैग की रिपोर्ट हमारे आरोपों की पुष्टि करती है और अब इस पर कोई विवाद नहीं बचता कि अखिलेश सरकार महिलाआें के खिलाफ होने वाले अपराधों को रोक पाने में विफल साबित हुई है। कांग्रेस विधायक अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि कैग रिपोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि सपा के शासनकाल में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति सबसे खराब है।

रिपोर्ट में कैग ने बढ़ती आपराधिक घटनाआें के लिए पुलिस बल की कमी को भी एक कारण बताते हुए कहा कि प्रदेश में प्रति एक लाख की आबादी पर पुलिसकर्मियों की स्वीकृत क्षमता 178.48 के मुकाबले केवल 81 पुलिस कर्मी ही तैनात है। कैग ने कहा कि देश में होने वाली कुल आपराधिक घटनाआें में 12.7 प्रतिशत के साथ उत्तर प्रदेश सबसे उपर है और यहां महिलाआें के विरूद्व अपराध की घटनाएं सर्वाधिक हैं...पुलिसकर्मियों की संख्या में 55 प्रतिशत की कमी है और यदि इसे दूर नहीं किया गया तो स्थिति और भी बिगड सकती है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा पुलिस बल में महिलाआें की संख्या 33 प्रतिशत किए जाने की सलाह के विपरीत उत्तर प्रदेश में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या मात्र 4.55 प्रतिशत ही है। इसलिए नाबालिग लड़कियों एवं महिलाआें के विरूद्व होने वाले अपराधों की बढती संख्या को देखते हुए महिला पुलिसकर्मियों की संख्या में पर्याप्त बढोत्तरी की जानी चाहिए। अपनी रिपोर्ट में कैग ने जो आंकडा दिया है, उसके मुताबिक वर्ष 2012-13 में बलात्कार का शिकार होने वाली नाबालिग लड़कियों की संख्या 1033 थी वह 2014-15 में 1619 पर पहुंच गई।

इसी दौरान नाबालिग लड़कियों की अस्मत लूटने की कोशिश की घटनाएं 2280 से बढ़कर वर्ष 2014-15 में 4297 तक पहुंच गई। इससे पूर्व प्रश्नकाल के दौरान सरकार ने भाजपा विधान दल के नेता सतीश महाना के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि मार्च 2016 से 18 अगस्त 2016 तक प्रदेश में बलात्कार की 1012, महिलाआें के उत्पीड़न की 4520 , लूट की 1386 तथा डकैती की 86 घटनाएं हुई है।

सरकार ने सदन को यह भी बताया कि एेसी घटनाओं पर प्रभावी अंकुश के लिए सभी जिलों में अपर पुलिस अधीक्षक के तहत विशेष अपराध शाखा का गठन किया गया है। यह भी बताया कि एेसे क्षेत्रों की पहचान की जा रही है जहां महिलाआें के खिलाफ होने वाली आपराधिक घटनाआें की आशंका ज्यादा रहती है।

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