‘बलात्कारियों के खिलाफ उमा भारती का बयान बिल्कुल सही’

Edited By ,Updated: 18 Feb, 2017 02:25 PM

uma bharti statement against rapists perfect

केंद्रीय जल संसाधन एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने आगरा रैली में बलात्कारियों को लेकर जो कुछ बोला उससे राजनैतिक और सामजिक गलियारों में बहस छिडऩा लाजमी था।

आगरा: केंद्रीय जल संसाधन एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने आगरा रैली में बलात्कारियों को लेकर जो कुछ बोला उससे राजनैतिक और सामजिक गलियारों में बहस छिडऩा लाजमी था। उमा भारती ने बलात्कारियों को कड़ी सजा देने का समर्थन किया है। उमा भारती ने आगरा में जनता को संबोधित करते हुए अपने संबोधन में कहा था कि जिन्होंने लड़कियों के साथ दुष्कर्म या बलात्कार किए हैं, ऐसे दुष्कर्मियों या बलात्कारियों को उन्हीं लड़कियों के सामने उल्टा लटका कर मार-मारकर चमड़ी उधेड़ देनी चाहिए। फिर उसके मांस में नमक और मिर्च भर देना चाहिए ताकि वो तड़पें। उनको वो लड़कियां तड़पते हुए और जिंदगी की भीख मांगते हुए देखें। उमा भारती ने जो कहा वो वास्तव में देश की हर महिला चाहती है। लेकिन उमा भारती के बयान पर कुछ तथाकथित मीडिया ने सकारात्मक रुख अपनाने की जगह उमा भारती की बातों की आलोचना शुरू कर दी और न्यूज चैनलों पर हेडलाइन आने लगी कि उमा भारती ने आगरा रैली में दिया विवादित बयान। 

जब किसी महिला का बलात्कार होता है तब इसी मीडिया के रिपोर्टर जंतर-मंतर, रामलीला मैदान और देश में अन्य जगहों पर होने वाले प्रदर्शनों में चीख-चीखकर पीड़ित महिला को न्याय देने की बात करते हैं और लगभग सभी चैनलों पर इस मुद्दे पर बहस भी होती है। बड़े-बड़े बुद्धजीवी अपने विचार रखते हैं लेकिन जब कोई व्यक्ति बलात्कारियों के खिलाफ कड़े प्रावधान की बात करता है तो यही मीडिया और कुछ बुद्धजीवी उस पर सवाल उठाते हैं और दोगली बातें करने लगते हैं। लेकिन ऐसे लोगों को मालूम होना चाहिए कि अगर देश की प्रत्येक महिला से बलात्कारियों को सजा देने के बारे में बात की जाए तो भारत की प्रत्येक महिला उमा भारती के बयान से इत्तेफाक रखेगी और उनकी कही बातों का ज्यों का त्यों समर्थन करेगी। क्योंकि एक महिला का दर्द पुरुषों से ज्यादा महिला ही समझ सकती है।

09 फरवरी 2017 को आगरा के कलाल खेरिया गाँव में रैली को संबोधित करते हुए उमा भारती ने यह भी स्वीकार किया कि उन्होंने मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री रहते हुए अपने कार्यकाल में रेप के आरोपी के साथ ऐसा ही किया था। उमा भारती ने आगरा रैली में बोलते हुए कहा था कि जब एक पुलिस अधिकारी ने बलात्कारी के साथ ऐसा व्यवहार किए जाने पर आपत्ति जताई तो मैंने उससे कहा कि इनके (बलात्कारियों) जैसे दानवों के कोई मानवाधिकार नहीं होते हैं। उमा भारती ने आगरा में जो कुछ भी करने का दावा किया है बेशक उसे देश के कुछ बुद्धजीवी एक आपराधिक कृत्य, अमानवतावादी और गैर संवैधानिक मानेंगे। लेकिन ऐसे बुद्धजीवियों को उमा भारती के बयान के बारे में उन बहन-बेटियों की राय लेनी चाहिए जिन के साथ बलात्कार हुआ है, ऐसे बुद्धजीवियों को उन माता-पिता से राय लेनी चाहिए जिनकी बेटी से दुष्कर्म हुआ है, उनको उन भाइयों से राय लेनी चाहिए जिनकी बहन के साथ बलात्कार जैसा घिनौना कृत्य हुआ है। उन्हें जवाब मिल जाएगा कि उमा भारती जो बोल रही हैं वो सही है या गलत। 

उमा भारती ने रैली में कहा था कि बलात्कारियों का कोई मानवाधिकार नहीं होता है। वास्तव में बलात्कार जैसा घिनौना कृत्य करने वाले लोग दानव के समान होते हैं। दुनिया का हर सभ्य व्यक्ति मानेगा कि जो व्यक्ति नारियों की अस्मत को तार-तार करता है वो जानवर से भी बदतर होता है। फिर भी मानवाधिकार की बात करने वाले कुछ बुध्दजीवी उमा भारती के बयान को विवादित ठहरा रहे हैं। उन बुध्दजीवियों को पता होना चाहिये कि मानवाधिकार केवल मानवों जैसी हरकत करने वालों के लिए होता है। जो व्यक्ति मानवों जैसी हरकत ही नहीं करता उसके लिए कैसा मानवाधिकार? इस सवाल का जवाब भी उन बुध्दिजीवियों को देना चाहिए।

 देश में हर साल हजारों लड़कियों के साथ बलात्कार होते हैं। जिनमें से अधिकतर मामलों में लड़की नाबालिग ही होती है। फिर भी देश की सरकारें महिला सुरक्षा के लिए कुछ नहीं करती हैं और देश में अधिकतर बलात्कार के मामले थाने में ही दर्ज नहीं होते। पीड़िता या उसका परिवार यह सोचकर मामला दर्ज नहीं कराता है कि मामला दर्ज कराने के बाद कुछ होने वाला तो नहीं हैं। पीड़िता को समाज में अनेक तरह की बदनामी झेलनी पड़ेगी। अगर मामला दर्ज करा भी दिया तो पीड़िता और उसके परिवार पर बलात्कारियों या उनके संरक्षकों द्वारा डरा धमकाकर मामला वापस देने का दवाब बनाया जाता है। अगर पीड़ित लड़की या उसका परिवार इस भय के माहौल में भी मामला वापस नहीं लेता है तो आरोपियों को जमानत मिल जाती है और राज्य सरकारें उनकी जमानतों का विरोध भी नहीं करती हैं। बलात्कारियों का जमानत पर बाहर रहना समाज के लिए खतरा होता है, इसके बारे में सरकारों को सोचना चाहिए। 

बीते वर्ष बुलंदशहर में मां-बेटी के साथ हुए गैंगरेप मामले में भी उत्तर प्रदेश कि समाजवादी पार्टी सरकार ने इसमें गिरफ्तार आरोपितों की जमानत का विरोध नहीं किया। बुलंदशहर में मां-बेटी के साथ हुए गैंगरेप में एक बेटी का बलात्कार उसके पिता के सामने किया गया और एक माँ का बलात्कार उसके बेटे के सामने किया गया। वास्तव में यह कृत्य मानवता के लिए शर्मनाक था। ऐसे लोगों को उमा भारती ने जैसी सजा की बात की है वैसी सजा मिलनी चाहिए थी, लेकिन राज्य सरकार की मेहरवानी से बुलंदशहर में मां-बेटी के साथ हुए गैंगरेप के आरोपी छुट्टा घूम रहे हैं। अगर राज्य सरकार आरोपियों की जमानत का कोर्ट में विरोध करती तो उनको जमानत मिलना मुश्किल था लेकिन सपा कि राज्य सरकार ने ऐसा नहीं किया। ऐसा ही देश के हजारों मामलों में होता है।

अगर देश से बलात्कार जैसे अनुचित कृत्यों को रोकना है तो सबसे पहले समाज को अपनी सोच बदलनी पड़ेगी, बाद में कोई कानून काम करेगा। आज भी देश के कई हिस्सों में बलात्कार पीड़िताओं और उनके परिवारों को समाज सहयोग करने की जगह उन पर ही तरह-तरह के आरोप लगाता है। जब तक समाज पीड़िता या उसके परिवार का सहयोग नहीं करेगा तब तक हम सब बलात्कार जैसे कृत्यों को रोकने की कल्पना ही नहीं कर सकते। आज भी समाज का एक वर्ग पीड़िता को ही तमाम तरह के आरोप लगाकर बलात्कार के लिए जिम्मेदार ठहराता है जो कि गलत है। आज जरुरत है समाज को महिलाओं के लिए अपनी सोच बदलने की। अगर समाज की सोच बदलेगी तो तभी शीशे पर जमीं धूल साफ होगी और समाज का साफ-सुथरा चेहरा दिखेगा। 

आज कानून के मुताबिक भी देश में बहुत सारे बलात्कारियों को विभिन्न न्यायालयों द्वारा फांसी की सजा सुनाई हुई है। लेकिन उस सजा का क्रियान्वयन न के बराबर होता है, कहा जाए तो होता ही नहीं है। देश में बेशक बलात्कारियों के लिए कितने भी कड़े कानून बन जायें। लेकिन उनका फायदा तभी होगा जब उन कानूनों को सही ढंग से क्रियान्वित किया जाए। साथ-साथ बलात्कार जैसे मामले की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाये जाने चाहिए जिससे कि पीड़िता के मामले कि सुनवाई जल्द हो सके और जल्द से जल्द उसे न्याय दिलाया जा सके। जैसा उमा भारती ने बलात्कारियों के बारे में बोला है जिस पर काफी हो-हल्ला हो रहा है, अगर ऐसी सजा का भी प्रावधान हो जाए तो बलात्कारी महिलाओं की तरफ आँख उठाने की भी नहीं सोचेंगे और जो लोग वेलेंटाइन दिवस पर अपनी संस्कृति और समाज का हवाला देकर प्रेमी-प्रेमिकाओं को लाठी-डंडों से पीटते हैं और कभी-कभार पार्क या रोड़ पर जाने वाले भाई बहनों को भी प्रेमी-प्रेमिका समझकर पीट देते हैं। अगर वो लोग यही काम बलात्कारियों पर करें तो कोई भी गन्दी सोच रखने वाला व्यक्ति बलात्कार की हिम्मत नहीं कर सकेगा।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)
 

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!