Edited By ,Updated: 11 Sep, 2016 05:48 PM
आपने सपेरों को सांप का खेल दिखाते तो खूब देखा होगा, लेकिन हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां बच्चे सांपों को अपना खिलौना समझते हैं।
इलाहाबाद: आपने सपेरों को सांप का खेल दिखाते तो खूब देखा होगा, लेकिन हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां बच्चे सांपों को अपना खिलौना समझते हैं। जी हां, यूपी के इलाहाबाद के कपारी गांव में हर घर में सांप पाला जाता है। बताया जा रहा है कि इस गांव में बच्चे गुड्डे-गुड़ियों और खिलौनों से नहीं, बल्कि सांपों से खेलकर बड़े होते हैं। यहां किसी भी छोटे बच्चे के गले में लिपटा हुआ सांप देखकर आप हैरान रह जाएंगे। यहां न तो सांप से बच्चों को कोई नुकसान होता है और न ही लोग सांपों को नुकसान पहुंचाते हैं। नाग (कोबरा), करैत, वाइपर, घोड़ा पछाड़ जैसे जहरीले सांपों को यहां घरों में पाला जाता है।
जड़ीबूटी से उतार देते हैं सांप का जहर
जानकारी के मुताबिक सपेरे राजकुमार ने बताया कि हम लोग तो पहाड़ एरिया में रहने वाले लोग हैं। हमारा काम ही है सांपो को पकड़ लोगों का मन बहलाना है। उससे जो भी पैसे मिलते हैं उसी से परिवार का पेट भरते हैं। खास बात तो यह है कि इन लोगों को जब सांप काट भी लेता है, तो वह जड़ीबूटी (नर्घीस, जहेर, मोगरा) से उसका जहर उतार देते हैं, बाकी सब ऊपर वाले के हाथ में हैं।
घर में सांप पालने की है परंपरा
बता दें कि आसपास के लोग इस गांव को 'संपेरों का गांव' के नाम से जानते हैं। यहां हर घर में सांप पालने की परंपरा है, जिस घर में जितने ज्यादा सांप होते हैं, गांव में उसका उतना ही रुतबा होता है। इस गांव की मिट्टी ही ऐसी है कि यहां सांप और इंसान स्वाभाविक रूप से दोस्त की तरह रहते आए हैं। सांपो के दांत पकड़ने के एक महीने के बाद तोड़ते हैं, क्योंकि पकड़े जाने से सांप बहुत दुखी होते हैं और कुछ नहीं खाते।
सपेरों का कहना है कि ज्यादातर सांपों को पहाड़ों से हम लोग पकड़ते हैं। इसके अलावा जब शहर में किसी के घर सांप निकलता है, तो हम लोगों को बुलाते हैं। इतना ही नहीं यहां दिनभर सांपों को दिखाने के बाद 2 सौ के आसपास कमा लेते हैं। इसके अलावा शहर के घरों में निकले सांपों को पकड़ने के पैसे मिलते हैं।