तस्वीरों में देखिए, UP में बाढ़ ने मचाई तबाही... तमाम रास्ते पानी में पूरी तरह डूबे

Edited By ,Updated: 22 Aug, 2016 08:42 AM

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उत्तर प्रदेश और पहाड़ों पर रुक-रुक कर हो रही बरसात के कारण इलाहाबाद, मिर्जापुर, वाराणसी, गाजीपुर व बलिया में पानी का जलस्तर खतरे के निशान को...

लखनऊ: उत्तर प्रदेश और पहाड़ों पर रुक-रुक कर हो रही बरसात के कारण इलाहाबाद, मिर्जापुर, वाराणसी, गाजीपुर व बलिया में पानी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है जिससे तटवर्ती क्षेत्रों में बाढ़ का पानी घुसने से आम जनजीवन प्रभावित हुआ है। इलाहाबाद से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर लगभग 2 सै.मी. प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है।

विश्व प्रसिद्ध दशाश्वमेघ घाट पर स्थित कई कार्यालयों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों के नीचे सड़क पर 3 फुट पानी भर जाने से क्षेत्र में रहने वाले लोगों को आने-जाने में भारी परेशानी हो रही है। दोनों नदियों के जलस्तर में तेजी से हो रही बढ़ौतरी से संगम नगरी के तमाम निचले इलाकों में पानी भर गया है। गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी संगम के सभी घाट और वहां जाने वाले तमाम रास्ते बाढ़ के पानी में पूरी तरह डूब चुके हैं। 8 तहसीलों में करीब 135 गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं।

बिजली गिरने से बारा, मेजा, सदर एवं सोराव तहसील में एक महिला समेत 4 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। इसके अतिरिक्त अतिवृष्टि से अब तक 100 पशुओं की भी मृृत्यु हो चुकी है। रिहायशी बस्तियों और मठ-मंदिरों में पानी घुसने से लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसमें सबसे ज्यादा दिक्कत संगम पर पूजा-अर्चना के लिए देश के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालुओं को हो रही है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जिले में बाढ़ राहत कार्य हेतु कुल 198 नावें लगाई गई हैं। एन.डी.आर.एफ. की 35 सदस्यीय एक टीम कैम्प कर रही है।

एन.डी.आर.एफ. की 35 सदस्यीय दूसरी टीम की आज शाम तक यहां पहुंचने की संभावना है। जिले में कुल 91 बाढ़ चैकियां स्थापित की गई हैं। शहरी क्षेत्र में 7 और ग्रामीण क्षेत्र में 26 बाढ़ राहत शिविरों को संचालित किया जा रहा है। इन 33 शिविरों में 7903 बाढ़ पीड़ित शरण लिए हुए हैं। चिकित्सकों की 33 टीम गठित कर बाढ़ पीड़ितों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। इसके अतिरिक्त 6200 पशुओं का टीकाकरण भी किया गया है। वाराणसी में गंगा का जलस्तर अब सड़क पर पहुंच गया है।

घाट पर स्थित छोटे-छोटे मन्दिर, मढ़ी और एक-दूसरे से जोडऩे वाले सम्पर्क मार्ग बाढ़ के पानी में छिप गए हैं। तटवर्ती क्षेत्रों में बाढ़ का पानी घुसने से लोगों ने बचाव का रास्ता ढूंढना शुरू का दिया है। दशाश्वमेघ घाट, शीतलाघाट समेत गंगा तट पर स्थित सभी घाट पानी में समाए हुए हैं और आसपास के इलाके की सड़क पर पानी भर गया है। प्रशासन ने एहतियातन क्षेत्र की बिजली काट दी है जिससे उस क्षेत्र में रहने वालों के सामने विकट स्थिति उत्पन्न हो गई है। 

दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा आरती भी सिमट कर सड़क किनारे होने लगी है। इसी महाआरती को देखने के लिए जापान के प्रधानमंत्री सिंजो आबे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ घाट पर महाआरती का भव्य दर्शन किया था। सबसे अधिक परेशान अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार करने वालों को हो रही है। उत्तर दिशा में स्थित मणिकर्णिका घाट और दक्षिण दिशा में स्थित हरिशचन्द्र शवदाह घाट पर बाढ़ का पानी भर जाने के कारण शवों को अन्यत्र किया जा रहा है।

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